क्या 26 साल की उम्र में 150/100 mmHg बीपी खतरनाक है? विशेषज्ञ बोले- तुरंत दवा नहीं, पहले करें ये काम!
1 month ago | 5 Views
आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) अब केवल बढ़ती उम्र की समस्या नहीं रह गई है। हाल ही में, एक 26 वर्षीय व्यक्ति ने अपने 150/100 mmHg के ब्लड प्रेशर रीडिंग को लेकर चिंता जाहिर की और पूछा कि क्या उन्हें तुरंत दवाएं लेना शुरू कर देना चाहिए। यह सवाल दिखाता है कि युवा पीढ़ी में भी उच्च रक्तचाप के मामले बढ़ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि 20 के दशक में इतना उच्च रक्तचाप एक गंभीर संकेत है, लेकिन तुरंत दवा शुरू करने से पहले निदान और अंतर्निहित कारणों की गहन जांच आवश्यक है।
एक रीडिंग से न बनें 'हाइपरटेंसिव'
मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स में सलाहकार, कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. गुलशन रोहरा के अनुसार, 150/100 mmHg का रीडिंग निश्चित रूप से बढ़ा हुआ है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। हालांकि, उनका कहना है कि "एक रीडिंग के आधार पर आपको उच्च रक्तचाप वाला (Hypertensive) व्यक्ति घोषित नहीं किया जा सकता।"
निदान की पुष्टि कैसे करें?
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि दवा शुरू करने से पहले, व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रीडिंग सटीक है:
सप्ताह भर जांच: एक अच्छी मशीन का उपयोग करके दिन में कम से कम दो बार, एक ही समय पर एक सप्ताह तक अपना रक्तचाप मापें।
सावधानियां: कॉफी पीने, धूम्रपान करने या व्यायाम करने के तुरंत बाद बीपी न मापें, क्योंकि इससे रीडिंग गलत आ सकती है।
हाइपरटेंशन की पुष्टि: यदि एक सप्ताह तक रीडिंग लगातार 140/90 mmHg से ऊपर बनी रहती है, तो यह उच्च रक्तचाप का संकेत है।
युवाओं में हाई बीपी क्यों है चिंता का विषय?
आम तौर पर लोग उच्च रक्तचाप को तब तक नजरअंदाज कर देते हैं जब तक कि कोई बड़ी जटिलता न हो जाए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते।
डॉ. रोहरा ने चेतावनी दी है कि 20 की उम्र में भी अनियंत्रित उच्च रक्तचाप लंबे समय में शरीर को चुपचाप नुकसान पहुंचाता है। यह हृदय पर दबाव डालता है, धमनियों को सख्त करता है, किडनी को प्रभावित करता है और स्ट्रोक (पक्षाघात) के खतरे को बढ़ाता है।
ग्लेनईगल्स हॉस्पिटल, परेल की चिकित्सक और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. आरती उलाल ने बताया कि चूंकि यह व्यक्ति युवा है, इसलिए चिकित्सक द्वितीयक कारणों (Secondary Causes) की तलाश करेंगे, जो युवाओं में अधिक आम हैं। इन कारणों में किडनी रोग, अंतःस्रावी (Endocrine) समस्याएं, उत्तेजक पदार्थों का सेवन या कुछ दवाएं शामिल हो सकती हैं।
क्या हर किसी को दवा की ज़रूरत है?
विशेषज्ञों का कहना है कि हमेशा नहीं। यदि रक्तचाप हल्का या मध्यम रूप से बढ़ा हुआ है, तो जीवनशैली में बदलाव बहुत मददगार हो सकते हैं।
दवा से पहले अपनाएं ये जीवनशैली:
नमक और प्रसंस्कृत भोजन: नमक का सेवन कम करें और पैकेज्ड/प्रोसेस्ड फूड्स से बचें।
शारीरिक गतिविधि: सप्ताह में पाँच दिन, कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि करें।
वजन और शराब: स्वस्थ वजन बनाए रखें और अत्यधिक शराब पीने से बचें।
तनाव प्रबंधन: ध्यान (Meditation) या योग के माध्यम से तनाव को नियंत्रित करें।
डॉ. रोहरा ने स्पष्ट किया, "यदि इन बदलावों के बावजूद रक्तचाप 140/90 mmHg से ऊपर बना रहता है, या यदि मधुमेह, किडनी रोग या हृदय संबंधी समस्याओं जैसे जोखिम कारक मौजूद हैं, तभी दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।"
26 साल के व्यक्ति को तुरंत क्या करना चाहिए?
डॉ. उलाल के अनुसार, एक बार की रीडिंग पर उपचार का निर्णय लेना सही नहीं है। एक 26 वर्षीय व्यक्ति को ये कदम उठाने चाहिए:
पुष्टि करें: एक सप्ताह तक लगातार बीपी रीडिंग लें।
जांच कराएं: डॉक्टर की सलाह पर ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और किडनी फंक्शन जैसे बुनियादी टेस्ट कराएं।
कारण तलाशें: चिकित्सक से सलाह लें ताकि उच्च रक्तचाप के द्वितीयक कारणों को दूर किया जा सके।
बदलाव शुरू करें: बिना देर किए जीवनशैली में परिवर्तन (जैसा कि ऊपर बताया गया है) शुरू कर दें।
डॉ. रोहरा की अंतिम सलाह है: "26 की उम्र में हाई बीपी घबराने का कारण नहीं है, लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लेना चाहिए। पुष्टि करें, शुरुआत में जीवनशैली को प्राथमिकता दें, और ज़रूरत पड़ने पर अपने चिकित्सक की सलाह पर दवा लें। जल्दी कार्रवाई करें और बाद में आने वाली जटिलताओं से बचें।"
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