आंत और दिल का अनोखा रिश्ता: पेट का स्वास्थ्य सीधे दिल को कैसे प्रभावित करता है?

आंत और दिल का अनोखा रिश्ता: पेट का स्वास्थ्य सीधे दिल को कैसे प्रभावित करता है?

2 months ago | 5 Views

 अक्सर जब हम दिल के स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो हमारा ध्यान सही खान-पान, व्यायाम और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके पेट में मौजूद अरबों बैक्टीरिया (जिन्हें गट माइक्रोबायोम कहते हैं) का सीधा संबंध आपके दिल की सेहत से होता है? हाल ही में हुए शोध और विशेषज्ञों की राय इस छिपे हुए रिश्ते पर प्रकाश डाल रहे हैं, जो बताते हैं कि एक स्वस्थ आंत न केवल बेहतर पाचन के लिए, बल्कि एक मजबूत दिल के लिए भी बेहद जरूरी है।

पेट और दिल के बीच का वैज्ञानिक कनेक्शन

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक चोपड़ा और डॉ. राज कुमार (पी.एस.आर.आई अस्पताल) जैसे विशेषज्ञ बताते हैं कि आंत और दिल के बीच का संबंध, जिसे 'गट-हार्ट एक्सिस' कहा जाता है, बेहद महत्वपूर्ण है। जब हमारी आंत स्वस्थ होती है, तो यह ऐसे लाभकारी यौगिक बनाती है जो रक्त वाहिकाओं की रक्षा करते हैं और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।

हालांकि, जब आंत अस्वस्थ होती है, तो इसमें मौजूद खराब बैक्टीरिया विषैले पदार्थ बनाते हैं। ये विषैले पदार्थ रक्तप्रवाह में मिलकर शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं, जिससे धमनियों में प्लाक (plaques) जमा होने लगता है। यह प्रक्रिया एथेरोस्क्लेरोसिस को जन्म देती है, जो धमनियों को संकुचित कर देती है और दिल के दौरे व स्ट्रोक का खतरा बढ़ाती है।

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खराब आंत के कुछ सामान्य लक्षण:

अगर आप अक्सर इन लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो यह आपकी आंत के अस्वस्थ होने का संकेत हो सकता है:

खाना खाने के बाद लगातार पेट फूलना (bloating)

गैस और अपच की समस्या

अनियमित मल त्याग (कब्ज या दस्त)

लगातार थकान महसूस होना

एसिड रिफ्लक्स या सीने में जलन

आंत और दिल दोनों को स्वस्थ रखने के लिए आसान उपाय

अच्छी खबर यह है कि कुछ साधारण जीवनशैली में बदलाव करके आप अपनी आंत और दिल दोनों को स्वस्थ रख सकते हैं:

धीरे-धीरे और ध्यानपूर्वक खाएं: खाना जल्दी-जल्दी निगलने से पेट में ज्यादा हवा जाती है। धीरे-धीरे चबाकर खाने से पाचन आसान होता है और ब्लोटिंग की समस्या कम होती है।

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से बचें: कोल्ड ड्रिंक्स और सोडा जैसी fizzy ड्रिंक्स पेट में गैस फंसाती हैं, जिससे पेट फूलता है।

खाने की मात्रा का ध्यान रखें: बहुत ज्यादा खाने से पाचन तंत्र पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। सही मात्रा में खाना खाने से पाचन सुचारू रहता है और वजन भी नियंत्रित रहता है।

भोजन के बाद टहलें: खाना खाने के बाद 10-15 मिनट की धीमी सैर पाचन तंत्र को गति देती है और गैस बनने से रोकती है।

हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त पानी पीना पाचन को दुरुस्त रखता है और कब्ज को रोकता है।

फाइबर युक्त आहार लें: अपने खाने में फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज जैसी फाइबर से भरपूर चीजों को शामिल करें। फाइबर आंत में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है।

अंत में, यह समझना जरूरी है कि हमारे शरीर के सभी अंग आपस में जुड़े हुए हैं। आपके पेट की सेहत सिर्फ पाचन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके दिल की सेहत को भी प्रभावित करती है। इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर आप अपने पाचन तंत्र और हृदय दोनों को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।
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