शर्म की बात है कि अपने देश में ऐसा नहीं हुआ...ओल्ड ट्रैफर्ड में सम्मान पर फारुख इंजीनियर का छलका दर्द

शर्म की बात है कि अपने देश में ऐसा नहीं हुआ...ओल्ड ट्रैफर्ड में सम्मान पर फारुख इंजीनियर का छलका दर्द

4 months ago | 5 Views

पूर्व विकेटकीपर फारुख इंजीनियर के नाम पर बुधवार को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड के एक स्टैंड का नामकरण किया गया जो विदेशी मैदान पर किसी भारतीय के लिए पहला सम्मान है। ओल्ड ट्रैफर्ड में खिलाड़ियों और मीडिया सेंटर के बीच तथा हिल्टन होटल के विस्तार पर स्थित ‘बी स्टैंड’ को भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट के पहले दिन औपचारिक रूप से सर क्लाइव लॉयड और फारुख इंजीनियर स्टैंड कर दिया गया। लंकाशर क्रिकेट क्लब में उनके अपार योगदान के सम्मान में स्टैंड के अनावरण के समय इंजीनियर और वेस्टइंडीज के दिग्गज कप्तान लॉयड दोनों मौजूद थे।

इंजीनियर ने पीटीआई को बताया, ‘‘यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है। क्लाइव और मैं दोनों सुबह इसके बारे में बात कर रहे थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे सम्मान में ऐसा कुछ किया जाएगा। ईश्वर महान है। अपने देश में पहचान नहीं मिलने की कमी पूरी हुई।’’ इंजीनियर (87 वर्ष) ने अपना अधिकांश क्रिकेट मुंबई में विशेषकर ब्रेबोर्न स्टेडियम में खेला। उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्म की बात है कि मेरी उपलब्धियों को वहां सम्मान नहीं मिला जहां मैंने अपना अधिकांश क्रिकेट खेला है।’’


हालांकि इंजीनियर ने 2024 में उन्हें ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार प्रदान करने के लिए भारतीय क्रिकेट बोर्ड का आभार व्यक्त किया था। लंकाशर क्रिकेट ने एक बयान में कहा, ‘‘लंकाशर क्रिकेट को यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि क्लब ने एमिरेट्स ओल्ड ट्रैफर्ड में एक स्टैंड का नाम क्लब के दिग्गजों और ‘हॉल ऑफ फेम’ में शामिल सर क्लाइव लॉयड और फारुख इंजीनियर के नाम पर रखा है।’’ इसमें कहा गया, ‘‘यह समारोह आज सुबह इंग्लैंड और भारत के बीच चौथे टेस्ट के पहले दिन हुआ जिसमें सर क्लाइव और फारुख के साथ क्लब के प्रतिनिधि पट्टिका का अनावरण करने के लिए शामिल हुए।’’

वेस्टइंडीज के साथ दो बार विश्व कप विजेता कप्तान रहे लॉयड ने 1968 और 1986 के बीच लंकाशर के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 219 मैच खेले। उन्होंने 12,764 रन बनाए और 55 विकेट लिए। क्लब के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में लॉयड ने 8,522 रन और 60 विकेट लिए। उन्होंने लंकाशर की एक दिवसीय सफलताओं में बड़ा योगदान देते हुए 1969 और 1970 में दो एक दिवसीय लीग खिताब जीते। उन्होंने 1970 और 1975 के बीच चार जिलेट कप जीते जिसमें 1972 के लॉर्ड्स में वॉरविकशर के खिलाफ 126 रन की यादगार पारी शामिल है। भारत के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इंजीनियर लंकाशर के विकेटकीपर थे जिन्होंने 1968 से 1976 तक क्लब का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने क्लब के लिए 175 मैच खेले जिनमें 5,942 रन बनाने के साथ 429 कैच लिए और 35 स्टंपिंग की।

इंजीनियर के बल्ले से शानदार प्रदर्शन और स्टंप के पीछे उनके अद्भुत कौशल ने लंकाशर में एक स्वर्णिम युग की शुरुआत की जो 1970 के दशक में एकदिवसीय मैचों का बादशाह था। जब लॉयड और इंजीनियर ने लंकाशर के लिए पदार्पण किया तब क्लब ने 1950 के बाद से कोई बड़ा खिताब नहीं जीता था, लेकिन आठ साल बाद 1970, 1971, 1972 और 1975 में चार बार जिलेट कप और 1969 और 1970 में दो बार जॉन प्लेयर लीग खिताब जीते। लॉयड और इंजीनियर दोनों ओल्ड ट्रैफर्ड के उपाध्यक्ष हैं और यह जोड़ी 2020 में आयोजित एक विशेष समारोह में क्लब के हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पूर्व खिलाड़ियों के पहले ग्रुप में शामिल थी।

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