क़ैद - नो वे आउट मूवी रिव्यु - प्यार, आज़ादी और अत्याचार की मर्मस्पर्शी और अनोखी कहानी

क़ैद - नो वे आउट मूवी रिव्यु - प्यार, आज़ादी और अत्याचार की मर्मस्पर्शी और अनोखी कहानी

2 months ago | 11 Views

डायरेक्टर - सोनिया कोहली

स्टाररिंग : मोहिंदर कोहली, ताई खान , आशीष दत्ता, अश्विनी किंहिकार, खालिद महमूद, सोनिया गोस्वामी

रन टाइम : 2 घंटे 30 मिनट

प्लेटफार्म : थिएटर

रेटिंग - 3 

सिनोप्सिस : ' क़ैद - नो वे आउट ' एक बहुत ही मार्मिक और अनोखी फिल्म है, जो जिगर नाम के लड़के के इर्द गिर्द घूमती है।अपने पिता से बचने के लिए जिगर, भारत से लंदन चला जाता हैं, ताकि आज़ादी से अपनी जिंदगी जी सके, वही उसकीमुलाकात एक ब्रिटिश एशियाई प्रोफेशनल मिहिर के साथ, और देखते ही देखते दोनों में प्यार हो जाता हैं, लेकिन यह रिश्ताजल्द ही खटाई में पड़ जाता हैं, और जल्द ही जिगर को समझ में आने लगता ही वो मिहिर के साथ एक अपमानजनक रिश्ते मेंफंसा चूका हैं, और उसकी हालत एक पिंजरे में कैद पंछी की तरह हो जाती हैं, क्या वो अपने आप को इस रिश्ते से बचा पाता हैंया नहीं, फिल्म की कहानी उस पर हैं. 

रिव्यु : सोनिया कोहली की फिल्म 'कैद :नो वे आउट ' एक बहुत ही शक्तिशाली और विचारोत्तेजक कहानी है जो प्यार और कैदके बीच के अंतर दिखाती हैं, और कैसे उस से बाहर निकल सकते हैं. फिल्म को बहुत सुंदरता के साथ पिरोया गया है, और कुछऐसा दिखाया गया हैं जिसके बारे में हम सब जानते हैं, लेकिन बात नहीं करना चाहते, यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए, ख़ासकर युवा लोगो को।

फिल्म का सबसे मजबूत पॉइंट है करैक्टर डेवलपमेंट।  जिगर और मिहिर दोनों के  कैरेक्टर को बहुत ही गहराई और सूक्ष्मता केसाथ दर्शाया है जिसकी वजह से उनका रिश्ता और उनके रिश्ते में आयी मुश्किलों को आप समझ सकते है और उनसे रीलेट करपाते हैं। मोहिंदर कोहली ने जिगर के रूप में एक शानदार  प्रदर्शन दिया है।उन्होंने कैरेक्टर की कमजोरी और ताकत दोनों कोबखूबी निभाया है। ताई खान मिहिर के रूप में लाजवाब है। उन्होंने अपने कैरेक्टर के दुरुपयोग की ओर अग्रसर होने को भयावहयथार्थवाद के साथ चित्रित किया है।

फिल्म में घरेलू दुर्व्यवहार का चित्रण बहुत खूबसूरती से किया गया है और यह एक ऐसे मुद्दे पर आवाज उठाता है जिसके बारे मेंहमारे समाज में बात नहीं की जाती।सोनिया कोहली ने बहुत नाजुकता के साथ इस विषय को संभाला है।  उन्होंने पीड़ित औरअपराधी दोनों पर दुर्व्यवहार के प्रभाव को दिखाया है।

फिल्म कई बार थोड़ी धीमी  हो जाती है खास तौर पर पहले हाफ में लेकिन फिल्म की बढ़ती टेंशन और सस्पेंस ऑडियंस कोहमेशा बांध कर रखती है। फिल्म का क्लाइमेक्स काफी इंटेंस है और जिगर की कहानी को एक मजबूत अंत मिलता है।

फिल्म का बैकग्राउंड  स्कोर और शक्तिशाली ट्रैक फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाते हैं और इस सिनेमेटिक अनुभव में गहराईलेकर आते हैं।

वर्डिक्ट : 'क़ैद - नो वे आउट' अपनी सम्मोहक कहानी, सशक्त प्रदर्शन और महत्वपूर्ण संदेश के लिए जरूर देखि जानी चाहिए।सोनिया कोहली ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जो मनोरंजक और विचारोत्तेजक दोनों है, जो दर्शकों पर स्थायी प्रभाव छोड़ती है।

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